वे माता-पिता जो बच्चों की मौजूदगी में सिगरेट पीते हैं, उनके बच्चों की
रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं। इससे भविष्य में उनको दिल का
दौरा पड़ने और स्ट्रोक के खतरे बढ़ जाते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया गया कि तीन से 18 साल की आयु के वैसे
2,000 से अधिक बच्चों की सेहत को खतरा है जिनके माता-पिता दोनों ही सिगरेट
पीते हैं।
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि 'पैसिव स्मोकिंग' यानि सेकेंड हैंड स्मोकिंग से हाने वाले खतरे का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।शोध करने वाले तस्मानिया विश्वविद्यालय के डॉ सिएना गल का कहना है, "हमारा
अध्ययन बताता है कि जो बच्चा बचपन में पैसिव स्मोकिंग का शिकार होता है
उसकी धमनियों की संरचना को प्रत्यक्ष और अपूरणीय क्षति पहुंचती है।"
डॉ गल कहते हैं, "यदि घर में कोई एक ही व्यस्क सिगरेट पीता हो और वह घर के
बाहर जाकर सिगरेट पीता हो, या कार में सिगरेट बिलकुल ना पिएं। तो इससे पैसिव स्मोकिंग का असर कम हो जाता है।
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